(बीके सिंह) सीतापुर। उत्तर प्रदेश सरकार की जहां स्वच्छ छवि जनमानस में बन रही है तो वही अधिकारियों के द्वारा धन वसूली की बातें भी तेज हो रही हैं यूं तो काफी हद तक भ्रष्टाचार पर सरकार का चाबुक चला है लेकिन कहीं-कहीं पर अभी ऐसी बातें सुनने को मिल रही है की वसूली बंद नहीं बल्कि चुपचाप का सिलसिला चल पड़ा है पहले जहां खुलकर वसूली होती थी आज वहां बंद कमरे में प्राइवेट कर्मचारियों के द्वारा वसूली हो रही यह कितना सत्य है? बताते चलें कि इस दौरान चर्चा में आया पूर्ति निरीक्षक कार्यालय महोली जिसके बतौर कर्ताधर्ता पूर्ति निरीक्षक मयंक श्रीवास्तव हैं जिनके संरक्षण प्राइवेट कर्मचारी रखे गए हैं और कोटेदारों से धन वसूली की जा रही है बताते हैं कि बातें हो रही हैं कि यह धन वसूली इस बात के लिए होती है कि जो शिकायत आएगी तो उसका निपटारा यहीं हो जाएगा क्योंकि जब कोटेदार गड़बड़झाला करेगा तो शिकायत तो आनी ही है और शिकायत आनी है तो शिकायत किसके पास होनी है तहसील के पूर्ति विभाग के आला अधिकारी मयंक श्रीवास्तव जी के पास और जब मयंक श्रीवास्तव जी के पास पहले से ही सब कुछ हो चुका है तो कार्यवाही का तो सवाल पैदा नहीं होता लेकिन बशर्ते यह वसूली पूरी करनी है और एक तरह से यह बातें हो रही हैं कि यह सुरक्षा टैक्स है जो पूर्ति निरीक्षक की तरफ से वसूल किया जाता है कोटेदार से और अगर यह सुरक्षा टैक्स जमा है तो समझ लीजिए कि आपके लिए पूर्ति महकमे की संजीवनी है और यह संजीवनी चाहे जितनी बड़ी लक्ष्मण शक्ति कोटेदार पर चलाई जाए इस संजीवनी की काट नहीं है क्योंकि साहब लंका के सुखेन वैद्य की तरह कोटेदार के बचाव के लिए तत्पर हैं बातें यह भी हो रही हैं कि अगर मामला तकशीर से देखा जाये तो यह पता चल जाएगा कि जो शिकायतें हुई हैं या होती हैं उसमें कार्यवाही कितनी अमल में लाई जाती है सिर्फ अधिक से अधिक जुर्माना ही हो सकता है इससे ज्यादा आप कोटेदार का कुछ नहीं कर सकते। चाहे जितना बड़ा कांड कर दे बहुत ज्यादा जुर्माना होगा और जो जुर्माना वह आसानी से दे सकता है इससे अधिक फाइल नहीं बढ़ेगी और इसकी बांनगी है कि किस तरीके से अधिकारी अपने नीचे वालों की कार्यवाही की फाइल दबाने में निपुण है क्योंकि यह अभी हाल ही में विकास भवन निरीक्षण के दौरान डीएम साहब को पता चल गया जब उन्होंने औचक निरीक्षण किया तो हकीकत सामने आई की सैकड़ों फाइलें जो कार्यवाही के लिए डीएम और सीडीओ द्वारा लिखी जा चुकी है वह धूल खा रही है जिस पर जिलाधिकारी ने जमकर क्लास लगाई। बिल्कुल उसी तरीके से उसी अंदाज में यहां भी सब वही हो रहा है कोई बड़ी और तगड़ी कार्यवाही होती है तो वह फाइल जिस तरीके से दबानी है या किस तरह से जांच करनी है यह पूर्ति निरीक्षक मयंक श्रीवास्तव कर लेंगे और यही संजीवनी कोटेदारों के लिए अमृत है और जनमानस में जिस तरह से काम होता है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं। तो क्या पूर्ति निरीक्षक मयंक श्रीवास्तव के कार्यालय में प्राइवेट कर्मचारी हैं क्या पूर्ति निरीक्षक महोली मयंक श्रीवास्तव द्वारा वसूली हो रही है? अब यह तो जांच हो तभी पता चलेगा लेकिन चर्चाएं तो चर्चाएं हैं इनका अस्तित्व नहीं होता लेकिन जिस तरह से बातें हो रही हैं वह एक इशारा जरूर कर रही हैं कि कहीं ना कहीं आग लगती है तो धुंआ तभी उठता है? देखना होगा क्या इस पर कोई विभागीय जांच होगी जो सत्यता सामने आएगी।
अरे अरे अरे… क्या वसूली बाज बन गए पूर्ति निरीक्षक महोली मयंक श्रीवास्तव

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