(राजेश कुमार) पूंजीवाद ने सामंती व्यवस्था को लगभग समाप्त कर लोकतंत्र को जन्म दिया है। लेकिन इस पूंजीवादी लोकतंत्र में ज्यों- ज्यों पूंजी का केंद्रीकरण होगा त्यों -त्यों लोकतंत्र का प्रभाव कम होता चला जाएगा। वर्तमान में देश और दुनिया में पूंजी का मालिकाना हक मुट्ठी भर लोगों की गिरफ्त में होता चला जा रहा है। वैसे वैसे ही लोगों की समस्याएं बढ़ती चली जा रही हैं। परंतु उनके विरोध का उन्मूलन वोट के प्रयोग करने के कारण होता रहेगा। अर्थात पूंजीवादी व्यवस्था को दीर्घजीवी बनाए रखने के लिए मतदान सेफ्टी वाल्व का काम कर रहा है। क्योंकि इससे सत्ता परिवर्तन तो हो जाता है परंतु आर्थिक नीतियों में कोई परिवर्तन नहीं होता है। दूसरी तरफ पूंजीवाद साइंस एवं टेक्नोलाजी का भरपूर उपयोग करके सुविधाएं जुटाता है परंतु समाज की सोच वैज्ञानिक नहीं बनने देना चाहता है। इसलिए वह ऐसी शिक्षा व्यवस्था लागू करता है जिससे समाज में भाग्य भगवान और पुरातन सोच का प्रभाव हो। जिससे समाज में जायज सवाल खड़े करने वाला तबका पैदा नहीं हो पाता है। सामाजिक और आर्थिक समानता का रास्ता सड़क पर वर्ग संघर्ष के रास्ते से होकर गुजरता है तथा जाति, धर्म और क्षेत्रवाद का संघर्ष, वर्ग संघर्ष की राह में रुकावट है भारत में जाति और धर्म आधारित संघर्ष को मान्यता मिलने के कारण ही बेरोजगारी, सामाजिक- आर्थिक असमानता पर सही प्रहार नहीं हो पा रहा है जबकि संविधान का उद्देश्य सामाजिक आर्थिक अस- मानता को कम से कम करना है। परंतु इसमें बेइंतहा वृद्धि होती चली जा रही है। भारतीय संविधान के अनुसार समाज में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक असमानता को धीरे-धीरे समाप्ति की ओर ले जाना राजसत्ता का परम दायित्व है। जिससे कि समाज में खुशहाली और बराबरी लाकर शांति और भाईचारा पैदा हो सके। परंतु बढ़ती भीषण महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा का चैपट हो जाना तथा पब्लिक सेक्टर एवं गवर्नमेंट सेक्टर को निजी हाथों में कौड़ियों के दाम बेचना स्पष्ट करता है कि राजसत्ता का परम लक्ष्य, गरीब की गरीबी बढ़ाना और अमीर की अमीरी को बेइंतहा बढ़ाना अर्थात गरीबी और अमीरी की खाई बढ़ाकर भारतीय संविधान के मूल्यों की उल्लंघन करना ही नहीं अपितु समाज को मजबूर/ लाचार/असहाय बना देना है। समाज को इसका एहसास ना हो इसलिए हर समय धार्मिक उत्सवों, प्रतीकों, चिन्हों, कार्यक्रमों, चमत्कारों और सांप्रदायिकता में उलझाए/ व्यस्त रखना है।
पूंजीवाद और सामंती व्यवस्था
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