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 Oct 24, 2022
उन्होंने कहा, भगवान राम ने अपने वचनों, अपने विचारों और अपने शासन में जिन मूल्यों को गढ़ा है, वे सबका साथ, सबका विकास की प्रेरणा हैं और सबका विश्वास, सबका प्रयास का आधार भी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, संयोग देखिए। हमारे संविधान की मूल प्रति पर भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण जी का चित्र अंकित है।
प्रधानमंत्री ने इसी हफ्ते उत्तराखंड स्थित केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के भी दर्शन किए थे। प्रधानमंत्री ने रामलला के अस्थाई मंदिर में पूजा अर्चना की और राम मंदिर निर्माण की प्रगति का जायजा लिया। उन्होंने राम कथा पार्क में भगवान राम का सांकेतिक राज्याभिषेक भी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में श्रीराम के आदर्शों को विकसित भारत की आकांक्षा की पूर्ति के लिए प्रकाश स्तंभ करार देते हुए कहा कि राम के वचनों, विचारों और शासन ने जिन मूल्यों को गढ़ा है, वह सबका साथ, सबका विकास की प्रेरणा हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, इस बार दीपावली एक ऐसे समय में आई है जब हमने कुछ समय पहले ही आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस अमृत काल में भगवान राम जैसी संकल्प शक्ति देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। मोदी ने कहा, अगले 25 वर्षों में विकसित भारत की आकांक्षा लिए आगे बढ़ रहे हिंदुस्तानियों के लिए श्री राम के आदर्श उस प्रकाश स्तंभ की तरह हैं जो हमें कठिन से कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का हौसला देंगे।

उन्होंने कहा, भगवान राम ने अपने वचनों, अपने विचारों और अपने शासन में जिन मूल्यों को गढ़ा है, वे सबका साथ, सबका विकास की प्रेरणा हैं और सबका विश्वास, सबका प्रयास का आधार भी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, संयोग देखिए। हमारे संविधान की मूल प्रति पर भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण जी का चित्र अंकित है। संविधान का वह पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है। यानी हमारे संवैधानिक अधिकारों की एक और गारंटी।

साथ ही प्रभु राम के रूप में कर्तव्यों का शाश्वत सांस्कृतिक बोध भी, इसलिए हम जितना कर्तव्यों के संकल्प को मजबूत करेंगे राम जैसे राज्य की संकल्पना उतनी ही साकार होती जाएगी। मोदी ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, एक समय था जब राम, हमारी संस्कृति और सभ्यता के बारे में बात करने तक से बचा जाता था। इसी देश में राम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाए जाते थे। उसका परिणाम क्या हुआ, हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक स्थान और नगर पीछे छूटते चले गए। हम यहीं अयोध्या के राम घाट पर आते थे तो दुर्दशा देखकर मन दुखी हो जाता था।

काशी की तंग और गदंगी भरी वह गलियां परेशान कर देती थी। जिन स्थानों को हम अपनी पहचान का, अपने अस्तित्व का प्रतीक मानते थे, जब वही बदहाल थे तो देश के उत्थान का मनोबल अपने आप टूट जाता था। उन्होंने अपनी सरकार द्वारा आध्यात्मिक विरासत को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा, पिछले आठ वर्षों में देश ने हीन भावना की इन बेड़ियों को तोड़ा है। हमने भारत के तीर्थों के विकास की एक समग्र सोच को सामने रखा है। हमने राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम से लेकर केदारनाथ और महाकाल महालोक तक घनघोर उपेक्षा के शिकार हमारे आस्था के स्थानों के गौरव को पुनर्जीवित किया है।

एक समग्र प्रयास कैसे समग्र विकास का जरिया बन जाता है, आज देश इसका साक्षी है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से ‘पंच प्राणों’ को आत्मसात करने का आह्वान दोहराते हुए कहा इन पंच प्राणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी हुई है, वह है भारत के नागरिकों का कर्तव्य। आज अयोध्या नगरी में दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है। श्री राम से जितना सीख सकें सीखना है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं, मर्यादा मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी सिखाती है और मर्यादा जिस बोध की आग्रही होती है वह बोध कर्तव्य ही है।

मोदी ने कहा “ श्री रामलला के दर्शन और उसके बाद राजाराम का अभिषेक यह सौभाग्य राम जी की कृपा से ही मिलता है। जब श्री राम का अभिषेक होता है तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श और मूल्य और भी ज्यादा दृढ़ हो जाते हैं। राम के अभिषेक के साथ ही उनका दिखाया पथ और प्रदीप्त हो उठता है। अयोध्या के कण-कण में उनका दर्शन समाहित है। ”

उन्होंने कहा, आज अयोध्या की रामलीलाओं के माध्यम से, सरयू आरती के माध्यम से, दीपोत्सव के माध्यम से और रामायण पर शोध और अनुसंधान के माध्यम से यह दर्शन पूरे विश्व में प्रसारित हो रहा है। मुझे खुशी है कि अयोध्या के लोग, पूरे उत्तर प्रदेश और देश के लोगों को इस प्रवाह का हिस्सा बना रहे हैं। देश में जन कल्याण की धारा को गति दे रहे हैं। मैं इस अवसर पर आपको देशवासियों को और विश्व भर में फैले हुए राम भक्तों को भी हार्दिक बधाई देता हूं।

इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने राम की पैड़ी पर भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम में शिरकत की। मोदी पहली बार इस कार्यक्रम का हिस्सा बने। इस बार राम की पैड़ी पर 15 लाख 76 हजार दीपक जलाए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस कीर्तिमान को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किए जाने का प्रमाण पत्र दिया।

इसके अलावा अयोध्या के विभिन्न चौक-चौराहों पर भी तीन लाख से अधिक दीप जलाए गए। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा, “ आज अयोध्या दीपों से, दिव्य भावनाओं से भव्य हैं। आज अयोध्या नगरी भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है। जब 14 वर्ष के वनवास के बाद प्रभु श्री राम अयोध्या वापस आए होंगे तो अयोध्या कैसे सजी-संवरी होगी।”

उन्होंने कहा, “हमने त्रेता युग की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए लेकिन प्रभु राम के आशीर्वाद से आज अमृत काल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के हम साक्षी बन रहे हैं। ” मोदी ने कहा, “ प्रभु श्री राम ने रावण के अत्याचार का अंत हजारों वर्ष पूर्व किया था लेकिन आज हजारों साल बाद भी उस घटना का एक-एक मानवीय और अध्यात्मिक संदेश एक-एक दीपक के रूप में सतत प्रकाशित होता है। दीपावली के दीपक हमारे लिए केवल एक वस्तु नहीं हैं। यह भारत के आदर्शों, मूल्यों और दर्शन के जीवंत ऊर्जा पुंज हैं।” इसके अलावा प्रधानमंत्री ने राम की पैड़ी पर थ्री-डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शन शो तथा ग्रैंड म्यूजिकल लेजर शो का भी अवलोकन किया। इस शो में भगवान राम के जीवन की विभिन्न घटनाओं को दर्शाया गया है। 

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