इससे पहले विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने राउत की न्यायिक हिरासत की अवधि भी 21 अक्टूबर तक बढ़ा दी, जब उन्हें मंगलवार को हिरासत की अवधि समाप्त होने पर अदालत में पेश किया गया था। अदालत में राउत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा)के नेता एकनाथ खडसे से मिले, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज धनशोधन मामले के सिलसिले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए वहां आए थे। दोनों नेताओं ने संक्षिप्त बात की और इस दौरान राउत को खडसे को यह कहते हुए सुना गया कि वह जल्द ही जेल से बाहर होंगे। राउत के खिलाफ ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुनर्विकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं और उनकी पत्नी और सहयोगियों से जुड़े वित्तीय लेनदेन से संबंधित है।
उपनगरी क्षेत्र गोरेगांव में 47 एकड़ में फैली पात्रा चॉल को सिद्धार्थ नगर के नाम से भी जाना जाता है और उसमें 672 किरायेदार परिवार हैं। 2008 में, महाराष्ट्र गृहनिर्माण एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) ने एचडीआईएल (हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के पुनर्विकास का अनुबंध सौंपा। जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और म्हाडा को कुछ फ्लैट देने थे। वह शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए स्वतंत्र था। हालांकि, ईडी के अनुसार, पिछले 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला, क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुनर्विकास नहीं किया, बल्कि अन्य बिल्डरों को भूमि के टुकड़े और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) 1,034 करोड़ रुपये में बेच दिये।