फेस्टिवल के दूसरे दिन अभिनेता-निर्माता आशीष शर्मा और अर्चना टी. शर्मा एवं सुप्रसिद्ध वन्यजीव फिल्म निर्माता एस. नल्लामुथु ने भी समारोह में हिस्सा लिया। फेस्टिवल की थीम ‘स्पिरिट ऑफ इंडिया’ रखी गई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और जल शक्ति मंत्रालय भी इस आयोजन का हिस्सा हैं।
अपने अभिनय के शुरुआती दिनों की यादें साझा करते हुए उन्होंने कहा कि महज 13 साल की उम्र से ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था। टैगोर ने बताया कि उनके परिवार में फिल्मों में काम करना तो दूर, फिल्म देखने तक की अनुमति नहीं थी। सबसे पहले सत्यजीत रे ने उन्हें फिल्मों में काम करने का अवसर दिया। उन्होंने कहा कि यदि रे के स्थान पर किसी और ने यह पेशकश की होती, तो उन्हें फिल्म में काम करने की इजाजत हरगिज नहीं मिलती। शर्मिला टैगोर ने बताया कि उन्होंने क्षेत्रीय सिनेमा से बॉलीवुड में कदम रखा था। यह पूछे जाने पर कि इसके लिए उन्हें क्या किसी परेशानी का सामना करना पड़ा, उन्होंने बताया कि उन्हें गानों की लिप सिंकिंग में परेशानी होती थी। शर्मिला ने बताया कि शुरू-शुरू में बंगाली फिल्मों से हिंदी फिल्मों में आने के कारण उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ा। हालांकि बॉलीवुड में कदम रखने के बाद भी उन्होंने अपनी जड़ों को कभी नहीं भुलाया और बीच-बीच में बंगाली फिल्मों में भी काम करती रहीं। साठ के दशक की फिल्मों में राजेश खन्ना के साथ उनकी हिट जोड़ी के बारे में उन्होंने कहा कि उन दिनों हेमा मालिनी–धर्मेंद्र और सायरा बानो–राजेंद्र कुमार जैसी जोड़ियां मशहूर थीं। लोग उनकी कैमिस्ट्री को देखना पसंद करते थे।
समारोह के दूसरे दिन एस. नल्लामुथु की फिल्म ‘मछली’, अमित गोस्वामी की ‘द लास्ट ट्राइब’, आशीष शर्मा और अर्चना टी. शर्मा की ‘खेजड़ी’, नकुल देव की ‘बिफोर आई डाई’ तथा ‘एलिफेंट्स डू रिमेम्बर’ जैसी फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई। फेस्टिवल के अंतिम दिन 6 मई को प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं निर्देशक तथा आईआईएमसी के पूर्व छात्र विवेक अग्निहोत्री समारोह में शामिल होंगे एवं विद्यार्थियों से संवाद करेंगे।