मुसलमानों के मुद्दों पर अखिलेश की चुप्पी से नाराज मुस्लिम विधायकों को सदन में अलग दल बना लेना चाहिए -शाहनवाज आलम

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time3 Minute, 49 Second

(तौहीद अंसारी) लखनऊ 25 अप्रैल 2022 को इलाहाबाद आए अल्पसंख्यक कांग्रेस विभाग के प्रदेश अध्यक्ष जनाब शाहनवाज आलम शहर अध्यक्ष अरशद अली के साथ कायकर्ताओ के साथ एक बैठक की और 2024 के लोकसभा चुनावों की राजनीति पर चर्चा करते हुए एक प्रेस रिलीज जारी की जिसने उन्होने कहा कांग्रेस हर उस व्यक्ति के साथ खड़ी है जिसके साथ अन्याय हो रहा है। हम पीड़ित का जाति-धर्म या पार्टी नहीं देखते। इसी सिद्धांत के तहत कांग्रेस आजम खान से भी सहानुभूति रखती है। ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहीं।
शाहनवाज आलम ने शिवपाल यादव के उस बयान से सहमति जताई है जिसमें उन्होंने कहा था की आजम खान को छुड़ाने के लिए मुलायम सिंह ने संसद में आवाज नहीं उठाई और ना ही सपा ने कोई आंदोलन चलाया। शाहनवाज आलम ने कहा कि नोएडा विकास प्राधिकरण घोटाले में राम गोपाल यादव को जेल जाने सी बचाने के एवज में अखिलेश और मुलायम सिंह यादव ने भाजपा से डील के तहत आजम खान को जेल भिजवाया है। इसीलिये सपा आजम के लिए आवाज नहीं उठाती क्योंकि ऐसा करने पर भ्रष्टाचार में डूबे पूरे परिवार को जेल जाना पड़ सकता है।
शाहनवाज आलम ने कहा कि इसी दबाव के चलते अखिलेश यादव ने देश भर में हो रहे मुस्लिम विरोधी हिंसा के खिलाफ विपक्षी पार्टियों द्वारा जारी संयुक्त बयान पर भी हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था।
शाहनवाज आलम ने सपा के 32 मुस्लिम विधायकों को सदन में अलग दल बना लेने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिमों के 90 फीसदी वोट पाने के बावजूद अखिलेश मुस्लिम विरोधी हिंसा पर चुप हैं, यहाँ तक कि अपने मुस्लिम विधायकों आजम खान, शहजिल इस्लाम और नाहिद हसन तक के उत्पीड़न का विरोध नहीं कर पा रहे हैं तो फिर मुस्लिम विधायकों का सपा में बने रहने का क्या औचित्य है। उन्होंने कहा कि सपा के कुल 111 विधायक हैं और विधान सभा में सपा में विभाजन के लिए एक तिहाई यानी 37 विधायक चाहिएं जबकि अकेले मुस्लिम विधायकों की संख्या ही 32 है। ऐसे में सपा के अन्य 5 सेकुलर विधायकों के साथ वो आजम खान के नेतृत्व में अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं। इससे मुस्लिम समुदाय के ऊपर होने वाले जुल्म के खिलाफ सदन में एक संगठित आवाज उठ सकती है।
उन्होंने कहा कि वैसे भी मुसलमानों ने अब सपा से किनारा करने का मन बना लिया है ऐसे में इन मुस्लिम विधायकों का समाज को नाराज करके सपा में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। मुस्लिम उलेमाओं को भी चाहिए कि वो इस दिशा में सपा के मुस्लिम विधायकों पर दबाव बनाएं।

Next Post

संचारी रोग नियंत्रण एवं स्कूल चलो अभियान रैली का आयोजन

(मनोज […]
👉