(आशीष शर्मा) पुरवा उन्नाव। नगर के मोहल्ला जोतपुर में बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के संविधान दिवस पर भव्य आयोजन किया गया था जिसमें श्री मती अंगाना ने बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रजवल्लित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे मनीष गुप्ता पत्रकार ने सभी को संबोधित करते हुए बताया कि समाज में प्रचलित भेदभाव से अंबेडकर दुखी थे। स्कूल के समय से ही उन्हें भेदभाव और अस्पृश्यता का सामना करना पड़ा था। अपनी जाति के दूसरे बच्चों की अपेक्षा अंबेडकर को अच्छे स्कूल में पढ़ाई का मौका जरूर मिला, लेकिन वहां उन्हें और उनके दलित दोस्तों को कक्षा के अंदर बैठने तक की इजाजत नहीं थी। न शिक्षक उनकी काॅपी छूते थे और न ही चपरासी उन्हें सम्मान से पानी देता। ऊंची जात का चपरासी उन लोगों को ऊंचाई से पानी पिलाता और जब वह न रहता तो उन्हें और उनके दोस्तों को प्यासा रहना पड़ता। यही वजह है कि पढ़ाई करने के बाद देश लौटकर उन्होंने इन सबके खिलाफ आंदोलन और अभियान चलाए। दलितों और दबे कुचलों को न्याय दिलवाने में वह आगे-आगे रहे। देश-विदेश के कई विश्ववि द्यालयों से पीएचडी की कई मानद उपाधियां मिली थीं. इनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं। आजाद सुजीत धानुक ने कहा कि हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है। दरअसल यही वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। 26 नवंबर, 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। जिसे गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है कार्यक्रम में मुख्य रूप से विशाल धानुक, अंशु गौतम, रिषभ धानुक, विजय सोनकर,शिवम् धानुक, वरुण, दीपक, संजीव, सुरेंद्र, रामप्रकाश, अशोक, रज्जू, आदि लोग मौजूद रहे!
पुष्प एवं माल्यार्पण कर मनाया गया संविधान दिवस
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