भारत का अपना वॉरशिप ‘आईएसी विक्रांत’, जानें कब होगा आधिकारिक तौर पर नौसेना में शामिल

RAJNITIK BULLET
0 0
Read Time3 Minute, 4 Second
  • नवंबर 1, 2021  

भारत हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान दोनों को टक्कर दे सकेगा। नौसेना का लक्ष्य इसे अप्रैल 2022 में प्राप्त करने का है और अगस्त 2022 में औपचारिक रूप से सेवा में शामिल करने की योजना है।

समुद्र में तैरता एक एयरपोर्ट यानी की आईएसी विक्रांत जिसे 23 हजार करोड़ की लागत से बनाया गया है। विक्रांत की वजह से भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी। भारत हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान दोनों को टक्कर दे सकेगा। नौसेना का लक्ष्य इसे अप्रैल 2022 में प्राप्त करने का है और अगस्त 2022 में औपचारिक रूप से सेवा में शामिल करने की योजना है। केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह केरल तट के नजदीक मौजूद देश में ही विकसित विमानवाहक युद्धपोत (आईएसी) विक्रांत पर गए और उसके समुद्री परीक्षण की प्रगति की समीक्षा की।

 लगाई गई 76 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री 

नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि भारत ने इस युद्धपोत के निर्माण में 76 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी लगाई है और इसे 20 हजार करोड़ रुपये के बजट में तैयार किया गया है। सिंह ने कहा, ‘‘इस परियोजना में करीब 550 उद्योग जुड़े और करीब 13,000 लोगों ने सीएसएल के साथ काम किया। यही नहीं, इसने न सिर्फ हमें महत्वपूर्ण क्षमता दी है बल्कि देश की औद्योगिक क्षमता के लिए भी यह अहम है।

क्या है इस वॉरशिप की खासियत

विक्रांत के आने के बाद भारत उन देशों में शामिल हो गया है जिसके पास वॉरशिप है। चीन के पास 2 और अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 11 वॉरशिप हैं। ये 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इसकी अधिकतम स्पीड 52 किलोमीटर प्रति घंटा है। 14 फ्लोर के इस जहाज में 150 कंपार्टमेंट हैं। जिसमें 1700 नौसैनिकों को तैनात किया जा सकता है। इसमें मिग 29 के, कंमोर्ग 39 हेलीकॉप्टर के साथ-साथ 30 फाइटर जेट को तैनात किया जा सकता है। विक्रांत में 76 प्रतिशत पार्ट्स भारत में ही बने हैं। 44 हजार 500 टन वजनी इस विक्रांत में ट्विन पाइपलाइन इंजन लगे हैं।

Next Post

अखिलेश यादव ने दिया बड़ा बयान, कहा- उत्तर प्रदेश का अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा

नवंबर […]
👉